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Why is Akshaya Tritiya considered an auspicious time to buy gold?

Why is Akshaya Tritiya considered an auspicious time to buy gold?

 

अक्षय तृतीया को सोना खरीदने का शुभ समय क्यों माना जाता है?
अक्षय तृतीया को सोना खरीदने का शुभ समय क्यों माना जाता है?

अक्षय तृतीया को सोना खरीदने का शुभ समय क्यों माना जाता है?

हर वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला पर्व अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इसे “अक्षय तीज” भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए पुण्य कार्य, दान, जप, तप और खरीदारी का फल कभी क्षय नहीं होता – अर्थात् वह अक्षय रहता है। विशेष रूप से इस दिन सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। लेकिन सवाल ये है कि अक्षय तृतीया पर ही सोना खरीदना इतना खास क्यों होता है? इस परंपरा के पीछे धार्मिक, ज्योतिषीय, सांस्कृतिक और आर्थिक कारण क्या हैं? आइए, विस्तार से जानते हैं इस महत्वपूर्ण विषय को।

Highlights

  • अक्षय तृतीया का अर्थ और महत्व

  • धार्मिक मान्यताएं

  • क्यों खरीदा जाता है सोना

  • ज्योतिष शास्त्र का दृष्टिकोण

  • सांस्कृतिक मान्यताएं और परंपराएं
  • आर्थिक दृष्टिकोण से सोना खरीदना

  • आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सोना खरीदना

  • आधुनिक युग में अक्षय तृतीया और मार्केटिंग
  • परंपरा और निवेश का अद्भुत संगम
  • ज्वेलरी ब्रांड्स की तैयारी
  • ई-कॉमर्स और डिजिटल प्रचार
  • सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक
  • जीवन में स्थायित्व और उन्नति
  • निष्कर्ष

अक्षय तृतीया का अर्थ और महत्व

“अक्षय” शब्द का अर्थ है – जो कभी नष्ट न हो। “तृतीया” का अर्थ है – तीसरा दिन। जब ये दोनों शब्द मिलते हैं, तो अक्षय तृतीया का तात्पर्य होता है – ऐसा तीसरा दिन जो अपार शुभता से भरपूर हो और जिसकी ऊर्जा स्थायी बनी रहे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह तिथि सूर्य और चंद्रमा दोनों के उच्च स्थिति में होने के कारण अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इसे त्रेता युग का आरंभ दिवस भी कहा गया है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।

धार्मिक मान्यताएं – क्यों खरीदा जाता है सोना?

अक्षय तृतीया से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं इस दिन की महिमा को और भी बढ़ाती हैं।

भगवान विष्णु और कुबेर की कथा:

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने कुबेर को धन का अधिपति बनाया था। कुबेर ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए सोने और चांदी का दान किया था। तभी से यह परंपरा बनी कि इस दिन सोना खरीदना सौभाग्य और समृद्धि को आमंत्रित करता है।

पांडवों को अक्षय पात्र प्राप्त होना:

जब पांडव वनवास में थे, तब अक्षय तृतीया के दिन भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था, जिससे कभी भोजन समाप्त नहीं होता था। यह दर्शाता है कि इस दिन प्राप्त की गई वस्तुएं कभी खत्म नहीं होतीं, इसलिए इस दिन की गई कोई भी खरीदारी शुभ मानी जाती है।

देवी लक्ष्मी की कृपा:

कहा जाता है कि इस दिन महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। जो लोग इस दिन सोना खरीदते हैं, उन्हें लक्ष्मीजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

ज्योतिष शास्त्र का दृष्टिकोण

ज्योतिष के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च स्थिति में होते हैं। इसे सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है, यानी किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है।

सोना, सूर्य और लक्ष्मी दोनों का प्रतीक है। सूर्य ऊर्जा, तेज और आत्मविश्वास का कारक है, जबकि देवी लक्ष्मी धन-संपदा की देवी हैं। इसलिए इस दिन सोने की खरीद से धन, तेज, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है।

सांस्कृतिक मान्यताएं और परंपराएं

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अक्षय तृतीया के अवसर पर विवाह, गृहप्रवेश, व्यवसाय आरंभ, खेती की शुरुआत और नए वस्त्र या आभूषण खरीदने की परंपरा है।

सोना: एक सांस्कृतिक प्रतीक:

सोना भारतीय संस्कृति में शुद्धता, वैभव और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है। विवाह में दुल्हन को सोने के आभूषण देना या मांगलिक कार्यों में सोने का उपयोग करना, इन सभी परंपराओं की जड़ें हमारी संस्कृति में गहराई से जुड़ी हैं।

अक्षय तृतीया पर मांग बढ़ना:

हर साल इस दिन सोने की दुकानों पर लंबी कतारें लगती हैं। ज्वेलरी ब्रांड्स इस दिन को लक्ष्मी के स्वागत का दिन मानते हुए विशेष ऑफर और डिजाइनों के साथ तैयार रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग मानते हैं कि इस दिन खरीदा गया सोना अक्षय सौभाग्य लाता है।

आर्थिक दृष्टिकोण से सोना खरीदना

अब बात करते हैं कि धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी सोना खरीदना इस दिन क्यों लाभकारी माना जाता है।

सोना: निवेश का सुरक्षित माध्यम

सोना सदियों से सुरक्षित निवेश का माध्यम रहा है। यह महंगाई और बाजार के उतार-चढ़ाव के समय में स्थायित्व प्रदान करता है। अक्षय तृतीया पर जब लोग सोना खरीदते हैं, तो यह धार्मिक पुण्य के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करता है।

सोने की कीमत और मांग में वृद्धि

इस दिन देशभर में भारी मांग के कारण सोने की कीमत में स्थायित्व या कभी-कभी थोड़ी गिरावट भी देखी जाती है। इस मौके को लोग निवेश के लिए सही समय मानते हैं।

डिजिटल गोल्ड की ओर रुझान

हाल के वर्षों में डिजिटल गोल्ड, गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ETF जैसे विकल्पों ने भी लोगों को इस दिन आधुनिक तरीकों से निवेश करने के लिए प्रेरित किया है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सोना खरीदना

धर्मग्रंथों में सोने को देवताओं का धातु कहा गया है। यह न सिर्फ भौतिक समृद्धि बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।

सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक

सोना, विशेष रूप से शुद्ध सोना (24 कैरेट), पवित्रता का प्रतीक होता है। इसे देवी-देवताओं की मूर्तियों और मंदिरों की सजावट में भी उपयोग किया जाता है। इस दिन इसे खरीदना ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग माना जाता है।

जीवन में स्थायित्व और उन्नति

जैसे सोना समय के साथ अपनी चमक और मूल्य बनाए रखता है, वैसे ही इस दिन किया गया निवेश भी जीवन में स्थायित्व और सफलता लाता है।

आधुनिक युग में अक्षय तृतीया और मार्केटिंग

आज के डिजिटल युग में अक्षय तृतीया सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह मार्केटिंग और बिजनेस का अवसर भी बन गया है।

ज्वेलरी ब्रांड्स की तैयारी

टाइटन, तनिष्क, मलाबार गोल्ड, कल्याण ज्वेलर्स जैसे बड़े ब्रांड अक्षय तृतीया के लिए विशेष ऑफर, EMI विकल्प, नई डिज़ाइन और ऑनलाइन खरीदारी के लाभ उपलब्ध कराते हैं।

ई-कॉमर्स और डिजिटल प्रचार

अब ग्राहक मोबाइल ऐप या वेबसाइट से भी सोना खरीद सकते हैं। डिज़िटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स आदि अब ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। सोना अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि स्मार्ट इन्वेस्टमेंट भी बन चुका है।

निष्कर्ष – परंपरा और निवेश का अद्भुत संगम

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना एक ऐसा कार्य है जिसमें धार्मिक आस्था, ज्योतिषीय लाभ, सांस्कृतिक परंपरा और आर्थिक विवेक – सभी एक साथ मिलते हैं। यह दिन हमें धन-संपदा के साथ-साथ मानसिक और आत्मिक संतुलन भी सिखाता है।

सोने की खरीद न केवल देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में समृद्धि, स्थायित्व और सुरक्षा का भाव भी लाता है। यही कारण है कि भारतीय समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा बिना रुके आगे बढ़ती जा रही है।

“तो अगली बार जब अक्षय तृतीया आए और आप सोना खरीदने जाएं, तो याद रखें – आप सिर्फ धातु नहीं खरीद रहे, आप एक परंपरा, एक आस्था, और भविष्य के लिए एक सुनहरा बीज बो रहे हैं।”

 

Disclaimer – कृपया ध्यान दें कि इस लेख में कोई व्यक्तिगत विचार शामिल नहीं किए गए हैं और यहां कीमतें भी इंटरनेट के संबंध में परिवर्तन के अधीन हैं। प्रोडक्ट जिनकी सेल्स, सर्विस या किसी भी प्रकार के विवाद के लिए Anil Bhardwaj उत्तरदायी नहीं है।

Anil Bhardwaj

Anil Bhardwaj is a Singer and Writer. He was born on 2 December 1998 and his birthplace is Gohana, Haryana.

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