Red Fort | History of Lal kila | लाल किले का इतिहास
लाल किला: भारत की गौरवशाली विरासत
भूमिका
भारत एक प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश है, जिसकी ऐतिहासिक धरोहरें इसकी गौरवशाली अतीत की गवाही देती हैं। इन्हीं धरोहरों में से एक है लाल किला, जो दिल्ली का प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक है। यह किला न केवल भारत की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय पहचान से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया यह भव्य किला आज भी भारतीय इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रतीक बना हुआ है। इस लेख में हम लाल किले के निर्माण, वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व, स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका और आधुनिक काल में इसके महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
लाल किले का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और निर्माण
लाल किला भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है और इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1638 में करवाना शुरू किया था। शाहजहाँ, जो ताजमहल के निर्माण के लिए भी प्रसिद्ध है, ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था। इसी क्रम में, उन्होंने यमुना नदी के किनारे शाहजहानाबाद नामक एक नया शहर बसाया और इस शहर के केंद्र में लाल किला बनवाया।
इस किले का निर्माण 1648 में पूरा हुआ और यह लगभग 2.5 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। लाल किला, जिसे मूल रूप से किला-ए-मुबारक कहा जाता था, अपनी मजबूत दीवारों, शानदार महलों और सुंदर बाग-बागीचों के लिए प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से किया गया था, जिससे इसे “लाल किला” नाम मिला।
लाल किले की वास्तुकला और संरचना
लाल किले की वास्तुकला मुगल, फारसी, तुर्की और भारतीय शैलियों का अनूठा मिश्रण है। इसकी भव्यता और सुंदरता इसे भारत के सबसे शानदार स्मारकों में से एक बनाती है।
1. किले की दीवारें और प्रवेश द्वार
लाल किले की दीवारें लगभग 18 से 33 मीटर ऊँची हैं, जो इसे एक मजबूत किले के रूप में प्रस्तुत करती हैं। यह किला दो मुख्य प्रवेश द्वारों से सुसज्जित है:
लाहौरी गेट – यह किले का मुख्य द्वार है और स्वतंत्रता दिवस के दिन यहीं से भारत के प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं।
दिल्ली गेट – यह दूसरा प्रमुख द्वार है, जिसे सैन्य उद्देश्यों के लिए बनाया गया था।
2. प्रमुख भवन और महल
लाल किले के भीतर कई महत्वपूर्ण भवन हैं, जो मुगल काल की भव्यता और शानो-शौकत को प्रदर्शित करते हैं।
दीवान-ए-आम – यह वह स्थल था, जहाँ सम्राट आम जनता से मिलते थे और उनकी शिकायतें सुनते थे।
दीवान-ए-खास – यह एक भव्य हॉल था, जहाँ सम्राट अपने मंत्रियों और खास मेहमानों से मिलते थे।
रंग महल – यह महल शाही महिलाओं के रहने के लिए बनाया गया था और इसे खूबसूरत चित्रों और कीमती पत्थरों से सजाया गया था।
मोती मस्जिद – औरंगजेब ने इस छोटी लेकिन सुंदर मस्जिद का निर्माण करवाया था।
हमाम (शाही स्नानागार) – शाही परिवार के स्नान के लिए इसे खास तरीके से डिज़ाइन किया गया था।
3. उद्यान और बाग-बागीचे
लाल किले के अंदर कई सुंदर बाग हैं, जिनमें हयात बख्श बाग और नहर-ए-बहिश्त प्रमुख हैं। इन उद्यानों में मुगल स्थापत्य कला की झलक मिलती है।
स्वतंत्रता संग्राम में लाल किले की भूमिका
लाल किला केवल एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि भारत की आजादी के संघर्ष का भी गवाह रहा है।
1857 की क्रांति और बहादुर शाह जफर
भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति के दौरान, लाल किला विद्रोह का प्रमुख केंद्र बना। विद्रोही सैनिकों ने अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को अपना नेता घोषित किया और लाल किले को अपना मुख्यालय बनाया। हालाँकि, अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचल दिया और बहादुर शाह जफर को बंदी बनाकर रंगून (म्यांमार) भेज दिया।
15 अगस्त 1947: स्वतंत्रता की घोषणा
15 अगस्त 1947 को, भारत की आजादी के दिन, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की और राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह परंपरा आज भी जारी है, जब हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं।
आधुनिक काल में लाल किला
आज लाल किला भारत के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है। 2007 में, यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, जिससे इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता और बढ़ गई।
1. संग्रहालय और पर्यटन
लाल किले में कई संग्रहालय स्थित हैं, जो भारतीय इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और मुगल संस्कृति से जुड़ी जानकारी प्रदान करते हैं। पर्यटक यहाँ आकर मुगलकालीन कला, हथियार, शाही पोशाक और अन्य ऐतिहासिक वस्त्र देख सकते हैं।
2. लाइट एंड साउंड शो
लाल किले में हर शाम लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है, जिसमें इस किले के गौरवशाली इतिहास को प्रकाश और ध्वनि के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।
3. रक्षा और संरक्षण
हाल के वर्षों में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने लाल किले के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए हैं। सरकार ने इसे एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय धरोहर के रूप में सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं।
निष्कर्ष
लाल किला न केवल भारत की ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह देश की आजादी, संघर्ष और समृद्ध संस्कृति का प्रतीक भी है। यह किला भारत के स्वर्णिम अतीत की याद दिलाता है और हमें अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है।
आज, जब हम हर साल 15 अगस्त को लाल किले से झंडा फहराते हुए देखते हैं, तो यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों को ताजा कर देता है। लाल किला केवल एक स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि भारतीय अस्मिता और राष्ट्रीय गर्व का केंद्र है। इस महान धरोहर को संरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसकी भव्यता और गौरव से प्रेरित हो सकें।
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