History

Lal kila history in Hindi

लाल किला: भारतीय इतिहास की अमर धरोहर

 

Lal Kila
Lal Kila

लाल किले का इतिहास

भारत का इतिहास विविधता से भरा हुआ है, जिसमें अनेक सभ्यताओं, शासकों और उनकी अद्भुत धरोहरों की झलक मिलती है। इन्हीं धरोहरों में एक गौरवशाली नाम है — लाल किला। दिल्ली के दिल में स्थित यह विशाल दुर्ग न केवल मुग़ल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का भी एक प्रतीक बन चुका है। हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, भारत के प्रधानमंत्री इसी ऐतिहासिक स्थल से राष्ट्र को संबोधित करते हैं। आइए, इस अद्भुत स्मारक के इतिहास, निर्माण, महत्व और वर्तमान स्थिति पर विस्तृत दृष्टि डालते हैं।

Highlights

  • लाल किले का इतिहास

  • निर्माण की पृष्ठभूमि

  • निर्माण काल और वास्तुकार

  • लाल किले की वास्तुकला

  • मुख्य विशेषताएँ
  • प्रमुख द्वार

  • मुख्य इमारतें

  • बगीचे और जल संरचनाएँ
  • लाल किले का ऐतिहासिक महत्व
  • मुग़ल शासन का केंद्र
  • स्वतंत्र भारत में भूमिका
  • वर्तमान स्थिति और संरक्षण कार्य
  • लाल किला और भारतीय संस्कृति में स्थान
  • रोचक तथ्य

निर्माण की पृष्ठभूमि

लाल किला मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया था। शाहजहाँ ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया और 1638 ईस्वी में नयी दिल्ली (उस समय शाहजहाँनाबाद) के निर्माण का आदेश दिया। इस नयी राजधानी का केंद्र बिंदु था — भव्य और अभेद्य लाल किला।

निर्माण काल और वास्तुकार

लाल किले का निर्माण कार्य वर्ष 1638 में शुरू हुआ और लगभग 10 वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद 1648 में पूर्ण हुआ। इसका डिज़ाइन मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने तैयार किया, जो ताजमहल के निर्माण में भी प्रमुख थे। किले का नाम “लाल किला” (Red Fort) इसकी लाल बलुआ पत्थर से बनी प्राचीरों के कारण पड़ा।

लाल किले की वास्तुकला

मुख्य विशेषताएँ

लाल किला मुग़ल और फारसी वास्तुशिल्प शैली का अनूठा संगम है। यह किला लगभग 254.67 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें दीवारों की ऊंचाई नदी की ओर से लगभग 18 मीटर और शहर की ओर से लगभग 33 मीटर है।

प्रमुख द्वार

लाहौरी गेट: किले का मुख्य द्वार, जहाँ से आज भी स्वतंत्रता दिवस समारोह होता है।

दिल्ली गेट: दक्षिणी ओर स्थित द्वार, जो विशेष रूप से राजा के उपयोग के लिए बनाया गया था।

मुख्य इमारतें

1. दीवान-ए-आम (जनसभा का हॉल): यहाँ पर सम्राट आम जनता से मिलते और उनकी समस्याओं का निवारण करते थे।

2. दीवान-ए-ख़ास (विशेष दरबार): यहाँ सम्राट उच्च पदाधिकारियों और विदेशी राजदूतों से मुलाकात करते थे। इसे चांदी के खंभों और सोने के जड़े गहनों से सजाया गया था।

3. नहर-ए-बहिश्त (स्वर्ग की धारा): महलों के बीचों-बीच से बहती एक जलधारा, जो स्वर्गीय आनंद का प्रतीक मानी जाती थी।

4. रंग महल: शाही महिलाओं के लिए बना महल, जिसे रंगीन फव्वारों और सुंदर चित्रकारी से सजाया गया था।

5. मोती मस्जिद: औरंगजेब द्वारा बनवाई गई एक निजी मस्जिद।

बगीचे और जल संरचनाएँ

लाल किले में चार बाग शैली के उद्यान थे, जिनमें से आज कुछ ही बचे हैं। जल संरचनाओं के माध्यम से पूरे परिसर में ठंडक और सुंदरता बनाए रखी जाती थी।

लाल किले का ऐतिहासिक महत्व

मुग़ल शासन का केंद्र

लाल किला लगभग 200 वर्षों तक मुग़ल साम्राज्य का प्रमुख शक्ति केंद्र रहा। यहाँ से शासक समूचे उपमहाद्वीप पर शासन करते थे। लेकिन समय के साथ मुग़ल साम्राज्य का पतन हुआ और 18वीं सदी के अंत तक लाल किला केवल एक प्रतीकात्मक सत्ता का केंद्र बनकर रह गया।

अंग्रेजों का अधिपत्य

1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने बहादुर शाह ज़फ़र को पकड़कर निर्वासित कर दिया और लाल किले पर अधिकार कर लिया। अंग्रेजों ने किले के कई हिस्सों को नष्ट कर दिया और सैन्य छावनी में बदल दिया।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

लाल किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भी एक मूक साक्षी रहा। 1945-46 के प्रसिद्ध आईएनए (Indian National Army) ट्रायल्स भी यहीं पर हुए, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सैनिकों पर मुकदमा चलाया गया। इसने स्वतंत्रता की लड़ाई को और तेज कर दिया।

स्वतंत्र भारत में भूमिका

15 अगस्त 1947 को, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से भारतीय ध्वज फहराया और स्वतंत्र भारत को संबोधित किया। तभी से हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री लाल किले से झंडारोहण करते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं।

वर्तमान स्थिति और संरक्षण कार्य

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

लाल किला 2007 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। इसके संरक्षण और रखरखाव का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जा रहा है।

संग्रहालय और प्रदर्शनियाँ

आज लाल किले में कई संग्रहालय स्थापित हैं, जैसे:

स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय: जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों की यादगार वस्तुएँ रखी गई हैं।

आर्ट गैलरी: जहां मुग़ल काल की कला और संस्कृति को प्रदर्शित किया जाता है।

युद्ध स्मारक संग्रहालय: भारतीय सेना के बलिदानों को समर्पित।

‘लाइट एंड साउंड शो’

लाल किले में प्रत्येक शाम को एक ‘लाइट एंड साउंड शो’ आयोजित किया जाता है, जिसमें रोशनी और ध्वनि के माध्यम से इसके इतिहास को जीवंत किया जाता है। यह कार्यक्रम पर्यटकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।

लाल किला और भारतीय संस्कृति में स्थान

प्रेरणा का स्रोत

लाल किला भारतीय सांस्कृतिक चेतना का एक स्थायी प्रतीक बन चुका है। यह न केवल स्थापत्य कला की उत्कृष्टता का उदाहरण है, बल्कि भारतीयों के संघर्ष, बलिदान और स्वतंत्रता की भी याद दिलाता है।

साहित्य और सिनेमा में

कई भारतीय फिल्मों, कहानियों और कविताओं में लाल किले का उल्लेख मिलता है। यह प्रतीक बन चुका है भारतीय अस्मिता और गौरव का।

पर्यटन स्थल

लाल किला भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। प्रतिवर्ष लाखों देशी-विदेशी पर्यटक इसकी भव्यता और इतिहास का अनुभव करने के लिए यहाँ आते हैं।

रोचक तथ्य

लाल किले का मूल नाम किला-ए-मुबारक था।

किले के निर्माण में 10 साल लगे और अनुमानित लागत उस समय करीब 10 लाख रुपये आई थी।

औरंगज़ेब के शासनकाल में किले की भव्यता घटने लगी थी, क्योंकि उसने कला और स्थापत्य में निवेश कम कर दिया था।

स्वतंत्रता दिवस पर जब प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं, तो सैनिक सलामी देने के लिए 21 तोपों की सलामी भी देते हैं।

किला पहले यमुना नदी के किनारे बना था, लेकिन अब नदी की धारा बदल चुकी है।

निष्कर्ष

लाल किला केवल एक इमारत नहीं है, यह भारत के इतिहास, संस्कृति और आत्मा का जीवंत प्रतीक है। सदियों के उतार-चढ़ाव के बावजूद, यह शान से खड़ा है और आने वाली पीढ़ियों को भारतीय सभ्यता की गौरवगाथा सुनाता रहेगा। इसके भव्य दीवारों के भीतर छुपी कहानियाँ आज भी हमारे दिलों में देशभक्ति की भावना को जाग्रत करती हैं। यदि आपने अब तक इस ऐतिहासिक धरोहर को नहीं देखा है, तो निश्चित ही इसे अपनी यात्रा सूची में शामिल करना चाहिए।

लाल किला केवल ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि हमारी आज़ादी की अमूल्य धरोहर है।

 

Disclaimer – कृपया ध्यान दें कि इस लेख में कोई व्यक्तिगत विचार शामिल नहीं किए गए हैं और यहां कीमतें भी इंटरनेट के संबंध में परिवर्तन के अधीन हैं। प्रोडक्ट जिनकी सेल्स, सर्विस या किसी भी प्रकार के विवाद के लिए Anil Bhardwaj उत्तरदायी नहीं है।

Anil Bhardwaj

Anil Bhardwaj is a Singer and Writer. He was born on 2 December 1998 and his birthplace is Gohana, Haryana.

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